जिनके पास नहीं थे ज़मीन के कागज़, अब वही कहलाएंगे असली मालिक – कोर्ट का बड़ा फैसला

By Shruti Singh

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Supreme court Decission

देशभर में ज़मीन विवाद हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है, खासकर उन लोगों के लिए जो सालों से ज़मीन पर कब्जा करके रह रहे हैं लेकिन उनके पास मालिकाना हक के कोई दस्तावेज़ नहीं हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने ग्रामीण और गरीब परिवारों के लिए नई उम्मीद जगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि जिनके पास ज़मीन के कागज़ नहीं हैं लेकिन जो सालों से उस ज़मीन पर रह रहे हैं, उन्हें अब असली मालिक माना जाएगा। इस फैसले से लाखों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आ सकता है।

लंबे समय का कब्जा बना अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार 12 साल या उससे ज्यादा समय तक किसी ज़मीन पर शांति से, बिना विवाद के और खुल्लमखुल्ला कब्जा कर रहा है, तो उसे उस ज़मीन का वैध मालिक माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि सिर्फ दस्तावेज़ों के अभाव में किसी को बेदखल करना अब गलत होगा। खास बात यह है कि यह नियम सिर्फ निजी ज़मीनों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि सरकारी ज़मीनों पर भी कुछ मामलों में लागू हो सकता है।

Adverse Possession का कानून

यह फैसला ‘Adverse Possession’ के कानून पर आधारित है, जिसके तहत कोई व्यक्ति यदि लगातार 12 साल तक ज़मीन पर कब्जा बनाए रखता है और असली मालिक ने इस दौरान कोई कानूनी आपत्ति नहीं जताई तो कब्जाधारी को मालिकाना हक मिल सकता है। लेकिन इसके लिए यह भी ज़रूरी होगा कि कब्जा शांतिपूर्ण हो, लगातार हो और जानबूझकर किसी से छुपाया न गया हो। कोर्ट ने साफ किया कि यह हक सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगा जो कानूनी शर्तों को पूरा करेंगे।

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ग्रामीण इलाकों में बड़ी राहत

यह फैसला खासकर उन ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत है जहां लोग पीढ़ियों से ज़मीन पर रह रहे हैं लेकिन उनके पास रजिस्ट्री, पट्टा या खतौनी जैसे दस्तावेज़ नहीं हैं। अब उन्हें अपने अधिकारों के लिए कोर्ट में ‘डिक्लेरेशन सूट’ दाखिल करने का मौका मिलेगा। इससे गरीब किसानों, आदिवासियों और भूमिहीन मजदूरों को अपनी ज़मीन बचाने का कानूनी रास्ता मिल जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी को ज़मीन से हटाना अब गैरकानूनी होगा।

किन लोगों को नहीं मिलेगा फायदा

हालांकि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लाखों लोगों के लिए राहत लेकर आया है, लेकिन यह हर किसी पर लागू नहीं होगा। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जबरन कब्जा करने वाले, हिंसक तरीके से ज़मीन हथियाने वाले या कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने वाले लोगों को इस कानून का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा सरकारी जमीनों पर भी यह नियम तभी लागू होगा जब सरकार खुद इसकी अनुमति दे। 12 साल से कम कब्जा करने वालों को भी यह अधिकार नहीं मिलेगा।

Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी अदालत के हालिया फैसले और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। जमीन से जुड़े किसी भी कानूनी विवाद या दावे के लिए आपको संबंधित विभाग या कानूनी सलाहकार से संपर्क करना चाहिए। यहाँ दी गई जानकारी की पूर्ण सटीकता या भविष्य में किसी बदलाव की गारंटी नहीं दी जाती।

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Shruti Singh

Shruti Singh is a skilled writer and editor at a leading news platform, known for her sharp analysis and crisp reporting on government schemes, current affairs, technology, and the automobile sector. Her clear storytelling and impactful insights have earned her a loyal readership and a respected place in modern journalism.

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