CIBIL Score: अगर आप नया घर खरीदने का सपना देख रहे हैं और होम लोन लेने की तैयारी कर रहे हैं, तो सबसे पहले आपको अपने सिबिल स्कोर पर ध्यान देना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में रेपो रेट में कटौती के बाद अब होम लोन की ब्याज दरें भी कम होने की उम्मीद है। ऐसे में बैंक लोन देने से पहले आपके क्रेडिट स्कोर को जरूर जांचेंगे। अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा है तो आपको कम ब्याज दर और आसान EMI का लाभ मिल सकता है।
सिबिल स्कोर का महत्व
होम लोन के लिए सिबिल स्कोर बैंक के लिए सबसे बड़ा मापदंड होता है। अगर आपका स्कोर 750 या उससे अधिक है तो आपको बैंक से फटाफट लोन अप्रूवल और कम ब्याज दर की सुविधा मिल सकती है। जिन लोगों का स्कोर 700 से 749 के बीच होता है उन्हें भी लोन मिल सकता है लेकिन ब्याज दर थोड़ी ज्यादा हो सकती है। वहीं 650 से 699 स्कोर वालों को सख्त शर्तों पर लोन दिया जाता है। अगर स्कोर 650 से कम है तो लोन मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है।
स्कोर सुधारने के उपाय
अगर आपका सिबिल स्कोर कम है तो घबराएं नहीं। समय पर EMI और क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करना शुरू करें। क्रेडिट कार्ड की लिमिट का 30 प्रतिशत से ज्यादा उपयोग न करें और जितना हो सके कई लोन एक साथ लेने से बचें। इसके अलावा अपने क्रेडिट रिपोर्ट में कोई गलती हो तो उसे तुरंत ठीक करवाएं। सुरक्षित और असुरक्षित दोनों तरह के लोन में संतुलन बनाकर रखें ताकि बैंक को आपके फाइनेंशियल मैनेजमेंट पर भरोसा हो सके।
ज्यादा डाउन पेमेंट का फायदा
अगर आप बैंक से होम लोन लेना चाहते हैं तो ज्यादा डाउन पेमेंट करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। 20 से 30 प्रतिशत तक की डाउन पेमेंट करने पर बैंक आप पर ज्यादा भरोसा करता है और कम ब्याज दर पर लोन देने को तैयार होता है। इससे आपकी EMI भी कम हो जाती है और कुल ब्याज का बोझ भी घटता है।
को-एप्लिकेंट बनाएं और दस्तावेज तैयार रखें
अगर आपका सिबिल स्कोर कम है तो आप अपने पति, पत्नी या परिवार के अन्य सदस्य के साथ को-एप्लिकेंट बनकर लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। इससे बैंक के सामने आपकी प्रोफाइल मजबूत दिखेगी और लोन स्वीकृति की संभावना बढ़ेगी। साथ ही सैलरी स्लिप, इनकम टैक्स रिटर्न और बैंक स्टेटमेंट जैसे जरूरी दस्तावेज भी पहले से तैयार रखें। इससे प्रोसेस में देरी नहीं होगी और बैंक को आपके इनकम सोर्स का पूरा भरोसा मिलेगा।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह पर आधारित है। किसी भी फाइनेंशियल डिसीजन से पहले अपने बैंक या वित्तीय सलाहकार से सलाह अवश्य लें।