Daughter Rights In Agriculture Land: अगर आप भी सोचते हैं कि खेती की जमीन पर सिर्फ बेटों का अधिकार होता है तो अब आपकी सोच बदलने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसने देशभर की बेटियों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है। इस फैसले के बाद शादीशुदा बेटियों को भी अपने पिता की पैतृक खेती वाली जमीन में पूरा और बराबर का अधिकार मिलेगा।
शादी के बाद भी हक कायम रहेगा
बहुत से लोग अब तक यही मानते थे कि बेटी की शादी के बाद उसके मायके की जमीन पर उसका कोई हक नहीं होता। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि बेटी की शादी चाहे हो गई हो या नहीं, उसका हक पिता की पैतृक जमीन में हमेशा बना रहेगा। यह फैसला हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत दिया गया है।
खेती की जमीन पर भी पूरा अधिकार
कई लोग समझते थे कि यह हक सिर्फ घर या प्लॉट जैसी प्रॉपर्टी पर लागू होता है। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि खेती की जमीन भी इस कानून के दायरे में आती है। यानी बेटी चाहे शहर में हो या गांव में, उसके पिता की कृषि भूमि में उसका बराबर का हिस्सा रहेगा।
भाई की मंजूरी जरूरी नहीं
अक्सर बेटियों को डराया जाता है कि उन्हें जमीन में हिस्सा तभी मिलेगा जब भाई इजाजत देगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि बेटी को अपने हक के लिए भाई की मंजूरी लेने की कोई जरूरत नहीं है। अगर भाई मना करे तो बेटी सीधे कोर्ट में जाकर अपना अधिकार ले सकती है।
सरकारी रिकॉर्ड में नाम न हो तो भी मिलेगा हक
बहुत सी बेटियों का नाम खसरे या खतौनी में नहीं दर्ज होता। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उनका हक खत्म हो गया है। बेटी चाहें तो तहसीलदार ऑफिस में आवेदन कर सकती है। जरूरत पड़ने पर वह कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा सकती है और कानून उसकी पूरी मदद करेगा।
जमीन बेचने का भी अधिकार
अगर बेटी को उसका हिस्सा मिल गया है तो वह चाहे तो उस जमीन को बेच भी सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बेटी मालिकाना हक के बाद अपनी जमीन का उपयोग अपनी मर्जी से कर सकती है। वह चाहें तो खेती करें या फिर उसे किसी और को बेच दें।
Disclaimer: यह आर्टिकल सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले और विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर तैयार किया गया है। जमीन और पैतृक संपत्ति से जुड़े कानूनी अधिकारों की पूरी और सटीक जानकारी के लिए कृपया किसी योग्य वकील या आधिकारिक सरकारी विभाग से संपर्क करें।